रांची : वर्ष 2008 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का आवास घेरने के एक मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा सहित चार लोग बरी हो गए. साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया. रांची सिविल कोर्ट की न्यायाधीश वैशाली श्रीवास्तव की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
इसी के साथ यशवंत सिन्हा, पूर्व सांसद अजय मारू, पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे और खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन संजय सेठ बरी हो गए. दस साल पहले के इस मामले में रांची में सीएम आवास घेरने के दौरान अवैध मजमा लगाने और पुलिस बैरिकेटिंग तोड़ने का इन लोगों पर आरोप लगा था. सुनवाई के दौरान आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया था. उस समय सूबे के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा थे.
बात दें कि भ्रष्टाचार के मामले को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के आवास का घेराव करने के दौरान हंगामा हुआ था. सभी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है.
ज्ञात हो कि मामले के मुख्य गवाह जांच पदाधिकारी चंद्रशेखर तिवारी और मामला दर्ज कराने वाले तत्कालीन दंडाधिकारी रंजीत सिन्हा गवाही देने के लिए हाजिर नहीं हुए. गोंडा थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद और रांची के तत्कालीन एसडीओ मनोज कुमार के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी गवाही देने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. यह मुकदमा 12 मई 2008 को गोंदा थाने में दर्ज हुआ था.
Source:-ZEENEWS
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इसी के साथ यशवंत सिन्हा, पूर्व सांसद अजय मारू, पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे और खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन संजय सेठ बरी हो गए. दस साल पहले के इस मामले में रांची में सीएम आवास घेरने के दौरान अवैध मजमा लगाने और पुलिस बैरिकेटिंग तोड़ने का इन लोगों पर आरोप लगा था. सुनवाई के दौरान आरोपियों ने अपने ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया था. उस समय सूबे के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा थे.
बात दें कि भ्रष्टाचार के मामले को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के आवास का घेराव करने के दौरान हंगामा हुआ था. सभी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है.
ज्ञात हो कि मामले के मुख्य गवाह जांच पदाधिकारी चंद्रशेखर तिवारी और मामला दर्ज कराने वाले तत्कालीन दंडाधिकारी रंजीत सिन्हा गवाही देने के लिए हाजिर नहीं हुए. गोंडा थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद और रांची के तत्कालीन एसडीओ मनोज कुमार के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी गवाही देने के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए. यह मुकदमा 12 मई 2008 को गोंदा थाने में दर्ज हुआ था.
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