मास्को: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार (14 जून) को उत्तर कोरिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के जरिए किम जोंग उन को रूस आने का न्यौता दिया. इसके साथ ही पुतिन ने सिंगापुर में डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम जोंग की हुई बैठक को भी सराहा. पुतिन ने उत्तर कोरिया के शीर्ष अधिकारी और राज्य के सेरेमोनियल हेड किम योंग नाम की अगवानी करते हुए कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम जोंग की सिंगापुर वार्ता कोरियाई प्रायद्वीप के साथ ही दुनिया पर छाए परमाणु हमले को सुलझाने की दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.'
पुतिन ने कहा, 'नकारात्मक विचारों को एक तरफ रखकर किये गए इस मुलाकात (सिंगापुर वार्ता) के लिए शुक्रिया.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर इस मुलाकात के बाद आगे का रास्ता आसान हुआ है और कोरियाई प्रायद्वीप पर मंडरा रहे संकट में कमी आई है.'
12 जून को सिंगापुर में डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच ऐतिहासिक वार्ता हुई थी. यह एक अप्रत्याशित मुलाकात थी, जहां दुनिया के सबसे शक्तिशाली और पुराने लोकतंत्र के नेता को तानाशाही साम्राज्य की तीसरी पीढ़ी के नेता से हाथ मिलाते देखा गया. इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में कोरियाई प्रायद्वीय को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में बढ़ने पर सहमति बनी थी, लेकिन इस समझौते में इस बात का ब्योरा नहीं दिया गया है कि उत्तर कोरिया कब और कैसे अपने हथियार छोड़ेगा, यही वजह है कि इस समझौते की आलोचना भी हो रही है.
मई माह में रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने उत्तर कोरिया जाकर किम जोंग से मुलाकात की थी और ऐसा करने वाले वे पहले रूसी अधिकारी थे. उत्तर कोरिया और रूस दोनों ही मुल्क आपस में एक संक्षिप्त सीमाई भूमि साझा करते हैं और इनके बीच संधियों-समझौतों का एक लंबा इतिहास है.
Source:-ZEENEWS
View More About Our Services:-Mobile Database number Provider and Digital Marketing
पुतिन ने कहा, 'नकारात्मक विचारों को एक तरफ रखकर किये गए इस मुलाकात (सिंगापुर वार्ता) के लिए शुक्रिया.' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर इस मुलाकात के बाद आगे का रास्ता आसान हुआ है और कोरियाई प्रायद्वीप पर मंडरा रहे संकट में कमी आई है.'
12 जून को सिंगापुर में डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच ऐतिहासिक वार्ता हुई थी. यह एक अप्रत्याशित मुलाकात थी, जहां दुनिया के सबसे शक्तिशाली और पुराने लोकतंत्र के नेता को तानाशाही साम्राज्य की तीसरी पीढ़ी के नेता से हाथ मिलाते देखा गया. इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में कोरियाई प्रायद्वीय को पूरी तरह से परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में बढ़ने पर सहमति बनी थी, लेकिन इस समझौते में इस बात का ब्योरा नहीं दिया गया है कि उत्तर कोरिया कब और कैसे अपने हथियार छोड़ेगा, यही वजह है कि इस समझौते की आलोचना भी हो रही है.
मई माह में रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने उत्तर कोरिया जाकर किम जोंग से मुलाकात की थी और ऐसा करने वाले वे पहले रूसी अधिकारी थे. उत्तर कोरिया और रूस दोनों ही मुल्क आपस में एक संक्षिप्त सीमाई भूमि साझा करते हैं और इनके बीच संधियों-समझौतों का एक लंबा इतिहास है.
Source:-ZEENEWS
View More About Our Services:-Mobile Database number Provider and Digital Marketing
No comments:
Post a Comment