नई दिल्ली/सुमन अग्रवाल: प्रदूषण प्रदूषण प्रदूषण... इस शब्द से हम दिल्ली वालों को बहुत डर लगता है. आज इस शहर में प्रदूषण का स्तर इतना है तो उस शहर में उतना. हम प्रदूषण की मात्रा सुनते ही सहम जाते हैं, शारीरिक बीमारी से पहले हमें मानसिक तनाव ज्यादा हो जाता है. क्या हमने कभी ये सोचा की आखिर ये आंकड़े कितने सटीक हैं और इतना प्रदूषण है भी या नहीं या बस हम ही शोर करते रहते हैं. दरअसल, पर्यावरण विभाग शुद्ध हवा की जांच करने की ओर क़दम बढ़ा रहा है. अब आपको आपके इलाके में कितना प्रदूषण है, इसकी सही जानकारी मिलेगी और इसके बाद सरकार हवा शुद्ध करने की ओर क़दम उठाएगी
एनपीएल को मिली जिम्मेदारी
अब तक हवा में कितना प्रदूषण है इसका बस अंदाजा लगाया जा रहा था, लेकिन अब हवा में प्रदूषित कणों की जांच होगी और एक सटीक आंकड़ा तैयार होगा. दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने प्रदीषण पर स्टैंडर्ड बनाने की जिम्मेदारी national physical laboratory (एनपीएल) को सौंप दी है. एनपीएल अपने सिस्टम से प्रदूषण के रेंज की रीडिंग करेगा, जिससे प्रदूषित कणों की मात्रा की सही जानकारी मिल पाएगी.
प्रदूषण को मापने में मिलेगी मदद
हम ये नहीं कहते कि हवा प्रदूषित नहीं है, लेकिन ये प्रदूषण कितना है ये कौन तय करेगा. सरकार खुद मानती है कि हवा में प्रदूषण है और लगातार शुद्ध हवा की ओर काम हो रहा है, लेकिन जब तक ये पता नहीं चलता की पॉल्यूशन का आँकड़ा कितना सही है तब तक सही दिशा में काम नहीं होगा.
40 से 50 करोड़ का होगा प्रोजेक्ट
जितना पॉल्यूशन होता है उससे कहीं ज्यादा उसकी उसे सोचकर लोग बीमार पड़ जाते हैं. ऐसे में पल्यूशन की मात्रा का सही अनुमान पता चलने से लोग मानसिक रूप से बीमार कम होंगे. एनपीएल इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर यूके एनपीएल से बातचीत कर रहा है. ये प्रोजेक्ट 40-50 करोड़ का होगा और सरकार की ओर से इसपर मुहर लगनी बाकी है. इस नए सिस्टम के बाद इंडस्ट्री को भी एक अनुमान मिल जाएगा जिसके बाद पालिसी बनाने में भी आसानी होगी
Source:-Zeenews
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एनपीएल को मिली जिम्मेदारी
अब तक हवा में कितना प्रदूषण है इसका बस अंदाजा लगाया जा रहा था, लेकिन अब हवा में प्रदूषित कणों की जांच होगी और एक सटीक आंकड़ा तैयार होगा. दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने प्रदीषण पर स्टैंडर्ड बनाने की जिम्मेदारी national physical laboratory (एनपीएल) को सौंप दी है. एनपीएल अपने सिस्टम से प्रदूषण के रेंज की रीडिंग करेगा, जिससे प्रदूषित कणों की मात्रा की सही जानकारी मिल पाएगी.
प्रदूषण को मापने में मिलेगी मदद
हम ये नहीं कहते कि हवा प्रदूषित नहीं है, लेकिन ये प्रदूषण कितना है ये कौन तय करेगा. सरकार खुद मानती है कि हवा में प्रदूषण है और लगातार शुद्ध हवा की ओर काम हो रहा है, लेकिन जब तक ये पता नहीं चलता की पॉल्यूशन का आँकड़ा कितना सही है तब तक सही दिशा में काम नहीं होगा.
40 से 50 करोड़ का होगा प्रोजेक्ट
जितना पॉल्यूशन होता है उससे कहीं ज्यादा उसकी उसे सोचकर लोग बीमार पड़ जाते हैं. ऐसे में पल्यूशन की मात्रा का सही अनुमान पता चलने से लोग मानसिक रूप से बीमार कम होंगे. एनपीएल इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर यूके एनपीएल से बातचीत कर रहा है. ये प्रोजेक्ट 40-50 करोड़ का होगा और सरकार की ओर से इसपर मुहर लगनी बाकी है. इस नए सिस्टम के बाद इंडस्ट्री को भी एक अनुमान मिल जाएगा जिसके बाद पालिसी बनाने में भी आसानी होगी
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