Sunday 8 April 2018

दलितों के खिलाफ अब सवर्णों का आंदोलन, भिंड में आज रात से कर्फ्यू

दलितों के भारत बंद के बाद अब सवर्ण 10 अप्रैल को आंदोलन करने वाले हैं. बंद को लेकर अब तक ग्वालियर को छोड़कर किसी जिले से कोई संगठन सामने नहीं आया है. इसके बावजूद प्रशासन ग्वालियर, भिंड और मुरैना में सोमवार को कर्फ्यू लगाने वाला है.

इसी के चलते ग्वालियर, भिंड और मुरैना में प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थाओं में 10 अप्रैल को अवकाश घोषित कर दिया है. भिंड में तो सोमवार रात से पूरे दिन कर्फ्यू लगाया जाएगा.

इसके अलावा ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात 11 बजे से मंगलवार रात 10 बजे तक बंद रहेंगीं. वहीं, मुरैना में सोमवार दोपहर 2 बजे से इंटरनेट सेवा बंद रहेगी.

आंदोलन की चेतावनी के बीच लाइसेंसी हथियार जमा कराने के लिए लोग थाने पहुंचे. मुरैना में एसपी जीआरपी रुचिवर्धन मिश्रा ने स्टाफ की छुट्टी रद्द कर सभी को जिला मुख्यालय पर रहने के आदेश दिए हैं.

उधर, उच्च शिक्षा विभाग के ने 10 अप्रैल को सभी सरकारी -गैर सरकारी कॉलेजों में छुट्टी रखे जाने का आदेश जारी किया है.

Source:-Aajtak

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Saturday 7 April 2018

जानें- पनमुनजोम को क्यों कहते हैं दुनिया की सबसे खतरनाक जगह?

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की 27 अप्रैल को मुलाकात होने वाली है. लंबे वक्त तक चले तनाव के बाद दोनों देशों के प्रमुख मिलने पर सहमत हुए हैं. इसके लिए जो जगह चुनी गई है उसका नाम है पनमुनजोम. आइए जानते हैं पनमुनजोम के बारे में कुछ खास बातें...

पनमुनजोम को दुनिया की सबसे 'खतरनाक जगह' भी कहा जाता है. हालांकि, घोषित तौर से यहां युद्ध विराम लागू है. बावजूद इसके यहां आने वाले लोगों को प्रवेश से पहले ऐसे डॉक्यूमेंट पर सिग्नेचर कराए जाते हैं जिसमें लिखा होता है कि यहां पर आपकी मौत भी हो सकती है या आप घायल हो सकते हैं.

1953 में हुए युद्ध के बाद से यहां युद्ध विराम लागू है. इस इलाके को असैन्य घोषित किया गया है और कथित तौर पर हथियार रखने की इजाजत नहीं है. बावजूद इसके यहां डर और भय का माहौल बना रहता है. नॉर्थ कोरिया से भागने वाले काफी लोग इसी इलाके से होकर गुजरते हैं. ऐसे में पकड़े जाने पर उन्हें नॉर्थ कोरिया के सैनिक उन पर गोलियों की बौछार भी कर सकते हैं.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पनमुनजोम में एक ऐसा कॉन्फ्रेंस रूम भी है जो दोनों देशों की जमीन पर बना हुआ है. एक देश के टूरिस्ट को इस कांफ्रेस रूम में कुछ कदम ही आगे तक जाने दिया जाता है.

Source:-Aajtak

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Thursday 5 April 2018

Zee जानकारी: डुबकी लगाने के लायक भी नहीं रह गया गंगा नदी का पानी

भारतीय संस्कारों में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलन का ज़रिया है. हमारे देश में गंगा को एक पूजनीय नदी माना जाता है और इसे मां का दर्जा दिया जाता है. मां गंगा के प्रति देश के लोगों की आस्था बहुत गहरी हैं. अगर कोई व्यक्ति गंगा के बारे में अभद्र टिप्पणी कर दें तो हमारे देश में दंगे हो जाएंगे लेकिन सच्चाई ये है कि अपनी पूजनीय मां गंगा को हमने एक नाला बनाकर छोड़ दिया है. आपने देखा होगा कि देश के लोग आज भी अपने घरों में गंगाजल को किसी बर्तन या बोतल में भरकर बड़ी पवित्रता के साथ रखते हैं. पूजा-पाठ के दौरान बड़ी शुद्धता के साथ गंगाजल का आचमन किया जाता है.

इलाहाबाद और वाराणसी देश के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में गिने जाते हैं. इन शहरों से गुजरने वाली गंगा नदी में लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि लोगों के पाप धोने वाली गंगा अब एक नाला बन चुकी है. और नाले में डुबकी लगाने से मुक्ति नहीं बीमारियां मिलती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक bacteria वाले इस प्रदूषित पानी के इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और सबसे ज़्यादा ख़तरा Hepatitis A नामक बीमारी का होता है. CPCB की रिपोर्ट में गंगा नदी में प्रदूषण का सबसे कम स्तर उत्तराखंड में है.

इसके अलावा वर्ष 2011 में World Bank गंगा की सफाई के लिए भारत सरकार को 6 हज़ार 500 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इसके बाद वर्ष 2015 में NDA की सरकार ने नमामी गंगे परियोजना के तहत 20 हज़ार करोड़ रुपये का बजट तैयार किया जिसमें से करीब 7000 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं लेकिन गंगा की हालत देखकर लगता है कि इन योजनाओं का लाभ गंगा तक पहुंचा ही नहीं. 21वीं सदी के भारत की दुखद तस्वीर यही है...कि सदियों तक करोड़ों लोगों को मोक्ष दिलाने वाली गंगा. आज खुद ही अपनी हालत पर आंसू बहा रही है.

Source:-Zee News

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Wednesday 4 April 2018

यूपी में आवारा जानवरों की फौज बरबाद कर रही फसलें, किसान परेशान

वाराणसी: यूपी में आवारा मवेशी किसानों को लिए सिरदर्द बन गए हैं. गाय, बैल आदि पशु फसलों को चर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाने  बंद कराने के ऐलान के साथ ही गौवंश के वध पर सख्त कानून जारी किया. चूंकि योगी जी पहले से ही कट्टर हिन्दूवादी और फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं, लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय-बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए. गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया. इसका खामियाजा अब सामने आ रहा है. लोगों के छुट्टा पशु अब हरे भरे खेतों में तांडव कर रहे हैं. इससे किसानों की फसल तबाह हो रही हैं. हालत ये है कि इस फरमान के एक साल बाद जितने रुपये किसानों के ऋण माफ़ किए गए थे उससे कहीं ज़्यादा की फसल यह छुट्टा पशु चर गए.

किसान देवेंद्रनाथ चौबे के खेत में छुट्टा जानवर फसल तैयार होने से पहले ही चर गए. वे एक खेत में से जानवरों को भगाते हैं तो जानवरों का दूसरा दल फसल पर हमला कर देता है. इस लुका-छिपी के खेल में जीत जानवरों की हो रही है. देवेंद्रनाथ चौबे ने कहा कि "कोई भी जायदाद पैदा होने नहीं दे रहे हैं. गेहूं चर गए और एक भी दाना घर नहीं जा रहा है.''

सत्ता में आते ही योगी सरकार ने गौवध बंदी पर सख्ती दिखा दी थी. लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय-बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए. गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया. इसका खामियाजा अब दिखाई पड़ रहा है. पूरे प्रदेश में हर जगह यह जानवर नजर आने लगे हैं. झुंडों में घूम रहे छुट्टा पशु खेतों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं जिसकी चर्चा हर खेत खलिहान में होने लगी है.   

योगी सरकार ने चार अप्रैल 2017 को पहली कैबिनेट मीटिंग में 86 लाख किसानों के 36 हजार 359 करोड़ रुपये के कर्ज की माफी का ऐलान किया था. यूपी में करीब 2.30 करोड़ किसान हैं. इनमें 86 लाख किसानों की कर्जमाफी हुई थी. अभी ये कर्जमाफी के हनीमून पीरियड से बाहर भी नहीं निकले थे कि उनकी फसलों पर बछड़ों और सांड के हमले शुरू हो गए. हालात यह हो गई कि फसल बचाने के लिए किसान रात में खेतों की चौकीदारी करते रहे और योगी सरकार को कोसते रहे.

किसान जयशंकर सिंह का कहना है कि "ये जो बछवा जो छूटा है तो जितना हम लोग का क़र्ज़ माफ़ हुआ उससे अधिक हम लोगों का नुकसान है. तो इस क़र्ज़ माफ़ी से क्या फायदा है. हम लोगों का न चना होता है न मटर होता है न आलू होता है.''

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