Monday 23 April 2018

लोगों को शुद्ध हवा दिलाने के लिए सरकार ने कसी कमर, उठाया ये बड़ा कदम

नई दिल्ली/सुमन अग्रवाल: प्रदूषण प्रदूषण प्रदूषण... इस शब्द से हम दिल्ली वालों को बहुत डर लगता है. आज इस शहर में प्रदूषण का स्तर इतना है तो उस शहर में उतना. हम प्रदूषण की मात्रा सुनते ही सहम जाते हैं, शारीरिक बीमारी से पहले हमें मानसिक तनाव ज्यादा हो जाता है. क्या हमने कभी ये सोचा की आखिर ये आंकड़े कितने सटीक हैं और इतना प्रदूषण है भी या नहीं या बस हम ही शोर करते रहते हैं. दरअसल, पर्यावरण विभाग शुद्ध हवा की जांच करने की ओर क़दम बढ़ा रहा है. अब आपको आपके इलाके में कितना प्रदूषण है, इसकी सही जानकारी मिलेगी और इसके बाद सरकार हवा शुद्ध करने की ओर क़दम उठाएगी

एनपीएल को मिली जिम्मेदारी
अब तक हवा में कितना प्रदूषण है इसका बस अंदाजा लगाया जा रहा था, लेकिन अब हवा में प्रदूषित कणों की जांच होगी और एक सटीक आंकड़ा तैयार होगा. दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने प्रदीषण पर स्टैंडर्ड बनाने की जिम्मेदारी national physical laboratory (एनपीएल) को सौंप दी है. एनपीएल अपने सिस्टम से प्रदूषण के रेंज की रीडिंग करेगा, जिससे प्रदूषित कणों की मात्रा की सही जानकारी मिल पाएगी.

प्रदूषण को मापने में मिलेगी मदद
हम ये नहीं कहते कि हवा प्रदूषित नहीं है, लेकिन ये प्रदूषण कितना है ये कौन तय करेगा. सरकार खुद मानती है कि हवा में प्रदूषण है और लगातार शुद्ध हवा की ओर काम हो रहा है, लेकिन जब तक ये पता नहीं चलता की पॉल्यूशन का आँकड़ा कितना सही है तब तक सही दिशा में काम नहीं होगा.

40 से 50 करोड़ का होगा प्रोजेक्ट
जितना पॉल्यूशन होता है उससे कहीं ज्यादा उसकी उसे सोचकर लोग बीमार पड़ जाते हैं. ऐसे में पल्यूशन की मात्रा का सही अनुमान पता चलने से लोग मानसिक रूप से बीमार कम होंगे. एनपीएल इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर यूके एनपीएल से बातचीत कर रहा है. ये प्रोजेक्ट 40-50 करोड़ का होगा और सरकार की ओर से इसपर मुहर लगनी बाकी है. इस नए सिस्टम के बाद इंडस्ट्री को भी एक अनुमान मिल जाएगा जिसके बाद पालिसी बनाने में भी आसानी होगी

Source:-Zeenews

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Saturday 21 April 2018

कठुआ के SP सुलेमान चौधरी का तबादला, श्रीधर पाटिल को मिली नई जिम्मेदारी

श्रीनगर: कठुआ के पुलिस अधीक्षक सुलेमान चौधरी का तबादला कर दिया गया है. चौधरी की जगह श्रीधर पाटिल को नई जिम्मेदारी दी गई है. गौरतलब है कि कठुआ की आठ साल की बच्ची का 10 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था. बच्ची को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया. इस दौरान उसे भूखा रखा गया और नशीली दवाइयां दी गई और बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. इसके बाद बच्ची की हत्या कर दी गई. बच्ची का शव 17 जनवरी को रसाना गांव के जंगल से मिला था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 13 अप्रैल को इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. इस मामले में हेड कांस्टेबल, एक सब-इंस्पेक्टर, दो विशेष पुलिस अधिकारी सहित आठ लोग गिरफ्तार किए गए और उनमें से सात के खिलाफ आरोप दायर किया गया है.

Source:-Zeenews

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Thursday 19 April 2018

नरोदा पाटिया: 28 साल की सज़ा काट रही हैं माया कोडनानी, बाबू बजरंगी को हुई थी उम्रकैद

2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में आज गुजरात हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगा. इस केस में बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया गया था. इस मामले में विशेष अदालत अपना फैसला सुना चुकी है, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट अपना फैसला आज सुनाएगी.

विशेष अदालत ने कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी. एक अन्य बहुचर्चित आरोपी बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. सात अन्य को 21 साल के आजीवन कारावास और शेष अन्य को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था. जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.

कुछ ऐसा रहा था मंजर...

16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था. आपको बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इसमें 33 लोग जख्मी भी हुए थे.

नरोदा पाटिया नरसंहार को जहां गुजरात दंगे के दौरान हुआ सबसे भीषण नरसंहार बताया जाता है, वहीं ये सबसे विवादास्पद केस भी है. ये गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों में एक है, जिनकी जांच SIT ने की थी.


Source:-Aajtak

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Wednesday 11 April 2018

नर्क बना सीरिया, बच्‍चों पर कैम‍िकल अटैक का ये दिख रहा असर

कहते हैं किलकारियों को मुस्कुराहट देना भी किसी इबादत से कम नहीं है. पर जब सांसें कातिल बन जाए तो किलकारियां गूंजती नहीं बल्कि घुट जाती हैं. और यही हुआ सीरिया में.

सीरिया में शनिवार को रसायनिक हथियारों का हमले के बाद आई कुछ तस्वीरों ने पूरी दुनिया का कलेजा एक बार फि‍र छलनी कर दिया है.

सीरिया में शनिवार को रसायनिक हथियारों का हमला हुआ. विद्रोहियों के कब्जे वाली दोउमा में कथित तौर पर जहरीली गैस के हमले में 100 से ज्‍यादा लोग मारे गए, जिनमें बच्चों की तादाद ज़्यादा है.

व‍िश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार दोउमा में हुए रसायनिक हमले से 500 से ज्‍यादा लोग प्रभाव‍ित हुए हैं. अपने बयान में संगठन ने कहा क‍ि उनके सहयोगि‍यों द्वारा दि‍ए गए र‍िपोर्ट के अनुसार मेड‍िकल कैंप में कई बच्‍चों समेत 500 लोगों का चेकअप कि‍या गया और उनमें जहरीले कैम‍िकल से एक्‍सपोजर के लक्षण द‍िखे हैं.

जहरीले कैम‍िकल के लक्षणों में सांसों में तकलीफ, म्‍यूकस मैंब्रेन में दिक्‍कत, शरीर पर छाले और द‍िमाग पर असर शाम‍िल था. ऐसे में कहा जा रहा है क‍ि हमले में सरीन जैसे गैस का प्रयोग हुआ होगा. स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाने के लिए अनुमत‍ि देने की मांग की है.

इस केमिकल अटैक का सबसे आसान शिकार हुए वो छोटे-छोटे बच्चे, जिन्होंने अभी बड़ों की इस दुनिया में क़दम रखा ही था. कहा जा रहा है क‍ि कैम‍िकल अटैक में प्रभावि‍तों में ज्‍यादातर बच्‍चें शाम‍िल हैं. कुछ बच्‍चों को मेड‍िकल कैंप में स्‍वास्‍थ्‍य सुव‍िधाएं दी जा रही हैं.

रसायनिक हमलों के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस, ईरान और सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को जिम्मेदार ठहराया है.  गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि 48 घंटों के भीतर 'बड़ा निर्णय' लिया जाएगा. हालांकि रूस ने अमेरिका के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

Source:-Aajtak

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Monday 9 April 2018

पीएम मोदी का बिहार दौरा, शक्तिशाली इंजन के साथ देंगे करोड़ों की सौगात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बिहार दौरे में कई योजनाओं का उद्घाटन करेंगे. इसमें देश का पहला हाई स्पीड इलेक्ट्रिक रेल इंजन का लोकार्पण भी शामिल है. साथ ही कई नगर विकास परियोजनाएं भी शामिल हैं.

दोगुनी हो जाएगी भारतीय रेलवे की शक्ति

मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्टरी से निकले इस 12 हजार हॉर्सपावर वाले इंजन से भारतीय रेल की ताकत में इजाफा होगा. इसके साथ ही भारत उन चंद देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास 12 हजार हॉर्सपावर या उससे ज्यादा क्षमता वाले इलेक्ट्रिक इंजन हैं. अबतक रूस, चीन, जर्मनी और स्वीडन जैसे देश ही इसमें शामिल हैं. अब तक भारतीय रेलवे के पास 6 हजार हॉर्सपावर क्षमता वाले इलेक्ट्रिक इंजन थे.

सबसे ताकतवर इलेक्ट्रिक रेल इंजन

नए इलेक्ट्रिक इंजन की टॉप स्पीड 110 किमी प्रति घंटा होगी. इससे भारतीय रेल की गति भी तेज होने की संभावना है. इन इंजनों का इस्तेमाल मालगाड़ियों में होगा. इससे मालगाड़ियों की माल ढोने की क्षमता भी बढ़ेगी. आपको बता दें कि फ्रांस की कंपनी alstom के साथ रेलवे के क्षेत्र में पहले एफडीआई के रूप में तैयार मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्टरी से अगले 11 साल में ऐसे और 800 इंजन निकलेंगे. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये है.

इन योजनाओं का भी शुभारंभ

पीएम इस दौरान कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. इसमें मोतीझील का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण और हमसफर एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने के साथ रेलवे का दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण शामिल है.

प्रधानमंत्री, मोतिहारी से नगर विकास की पांच योजनाओं का शिलान्यास करेंगे. पटना के सैदपुर स्थित सीवरेज नेटवर्क, पटना के पहाड़ी स्थित एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पहाड़ी सीवरेज सिस्टम और पहाड़ी सीवरेज सिस्टम जोन का शिलान्यास शामिल है.

Source:-Aajtak
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Sunday 8 April 2018

दलितों के खिलाफ अब सवर्णों का आंदोलन, भिंड में आज रात से कर्फ्यू

दलितों के भारत बंद के बाद अब सवर्ण 10 अप्रैल को आंदोलन करने वाले हैं. बंद को लेकर अब तक ग्वालियर को छोड़कर किसी जिले से कोई संगठन सामने नहीं आया है. इसके बावजूद प्रशासन ग्वालियर, भिंड और मुरैना में सोमवार को कर्फ्यू लगाने वाला है.

इसी के चलते ग्वालियर, भिंड और मुरैना में प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थाओं में 10 अप्रैल को अवकाश घोषित कर दिया है. भिंड में तो सोमवार रात से पूरे दिन कर्फ्यू लगाया जाएगा.

इसके अलावा ग्वालियर में इंटरनेट सेवाएं रविवार रात 11 बजे से मंगलवार रात 10 बजे तक बंद रहेंगीं. वहीं, मुरैना में सोमवार दोपहर 2 बजे से इंटरनेट सेवा बंद रहेगी.

आंदोलन की चेतावनी के बीच लाइसेंसी हथियार जमा कराने के लिए लोग थाने पहुंचे. मुरैना में एसपी जीआरपी रुचिवर्धन मिश्रा ने स्टाफ की छुट्टी रद्द कर सभी को जिला मुख्यालय पर रहने के आदेश दिए हैं.

उधर, उच्च शिक्षा विभाग के ने 10 अप्रैल को सभी सरकारी -गैर सरकारी कॉलेजों में छुट्टी रखे जाने का आदेश जारी किया है.

Source:-Aajtak

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Saturday 7 April 2018

जानें- पनमुनजोम को क्यों कहते हैं दुनिया की सबसे खतरनाक जगह?

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की 27 अप्रैल को मुलाकात होने वाली है. लंबे वक्त तक चले तनाव के बाद दोनों देशों के प्रमुख मिलने पर सहमत हुए हैं. इसके लिए जो जगह चुनी गई है उसका नाम है पनमुनजोम. आइए जानते हैं पनमुनजोम के बारे में कुछ खास बातें...

पनमुनजोम को दुनिया की सबसे 'खतरनाक जगह' भी कहा जाता है. हालांकि, घोषित तौर से यहां युद्ध विराम लागू है. बावजूद इसके यहां आने वाले लोगों को प्रवेश से पहले ऐसे डॉक्यूमेंट पर सिग्नेचर कराए जाते हैं जिसमें लिखा होता है कि यहां पर आपकी मौत भी हो सकती है या आप घायल हो सकते हैं.

1953 में हुए युद्ध के बाद से यहां युद्ध विराम लागू है. इस इलाके को असैन्य घोषित किया गया है और कथित तौर पर हथियार रखने की इजाजत नहीं है. बावजूद इसके यहां डर और भय का माहौल बना रहता है. नॉर्थ कोरिया से भागने वाले काफी लोग इसी इलाके से होकर गुजरते हैं. ऐसे में पकड़े जाने पर उन्हें नॉर्थ कोरिया के सैनिक उन पर गोलियों की बौछार भी कर सकते हैं.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पनमुनजोम में एक ऐसा कॉन्फ्रेंस रूम भी है जो दोनों देशों की जमीन पर बना हुआ है. एक देश के टूरिस्ट को इस कांफ्रेस रूम में कुछ कदम ही आगे तक जाने दिया जाता है.

Source:-Aajtak

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Thursday 5 April 2018

Zee जानकारी: डुबकी लगाने के लायक भी नहीं रह गया गंगा नदी का पानी

भारतीय संस्कारों में गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि आत्मा के परमात्मा से मिलन का ज़रिया है. हमारे देश में गंगा को एक पूजनीय नदी माना जाता है और इसे मां का दर्जा दिया जाता है. मां गंगा के प्रति देश के लोगों की आस्था बहुत गहरी हैं. अगर कोई व्यक्ति गंगा के बारे में अभद्र टिप्पणी कर दें तो हमारे देश में दंगे हो जाएंगे लेकिन सच्चाई ये है कि अपनी पूजनीय मां गंगा को हमने एक नाला बनाकर छोड़ दिया है. आपने देखा होगा कि देश के लोग आज भी अपने घरों में गंगाजल को किसी बर्तन या बोतल में भरकर बड़ी पवित्रता के साथ रखते हैं. पूजा-पाठ के दौरान बड़ी शुद्धता के साथ गंगाजल का आचमन किया जाता है.

इलाहाबाद और वाराणसी देश के सबसे बड़े तीर्थस्थलों में गिने जाते हैं. इन शहरों से गुजरने वाली गंगा नदी में लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि लोगों के पाप धोने वाली गंगा अब एक नाला बन चुकी है. और नाले में डुबकी लगाने से मुक्ति नहीं बीमारियां मिलती हैं. डॉक्टरों के मुताबिक bacteria वाले इस प्रदूषित पानी के इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और सबसे ज़्यादा ख़तरा Hepatitis A नामक बीमारी का होता है. CPCB की रिपोर्ट में गंगा नदी में प्रदूषण का सबसे कम स्तर उत्तराखंड में है.

इसके अलावा वर्ष 2011 में World Bank गंगा की सफाई के लिए भारत सरकार को 6 हज़ार 500 करोड़ रुपये का लोन दिया था. इसके बाद वर्ष 2015 में NDA की सरकार ने नमामी गंगे परियोजना के तहत 20 हज़ार करोड़ रुपये का बजट तैयार किया जिसमें से करीब 7000 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं लेकिन गंगा की हालत देखकर लगता है कि इन योजनाओं का लाभ गंगा तक पहुंचा ही नहीं. 21वीं सदी के भारत की दुखद तस्वीर यही है...कि सदियों तक करोड़ों लोगों को मोक्ष दिलाने वाली गंगा. आज खुद ही अपनी हालत पर आंसू बहा रही है.

Source:-Zee News

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Wednesday 4 April 2018

यूपी में आवारा जानवरों की फौज बरबाद कर रही फसलें, किसान परेशान

वाराणसी: यूपी में आवारा मवेशी किसानों को लिए सिरदर्द बन गए हैं. गाय, बैल आदि पशु फसलों को चर रहे हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही अवैध बूचड़खाने  बंद कराने के ऐलान के साथ ही गौवंश के वध पर सख्त कानून जारी किया. चूंकि योगी जी पहले से ही कट्टर हिन्दूवादी और फायर ब्रांड नेता के रूप में जाने जाते हैं, लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय-बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए. गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया. इसका खामियाजा अब सामने आ रहा है. लोगों के छुट्टा पशु अब हरे भरे खेतों में तांडव कर रहे हैं. इससे किसानों की फसल तबाह हो रही हैं. हालत ये है कि इस फरमान के एक साल बाद जितने रुपये किसानों के ऋण माफ़ किए गए थे उससे कहीं ज़्यादा की फसल यह छुट्टा पशु चर गए.

किसान देवेंद्रनाथ चौबे के खेत में छुट्टा जानवर फसल तैयार होने से पहले ही चर गए. वे एक खेत में से जानवरों को भगाते हैं तो जानवरों का दूसरा दल फसल पर हमला कर देता है. इस लुका-छिपी के खेल में जीत जानवरों की हो रही है. देवेंद्रनाथ चौबे ने कहा कि "कोई भी जायदाद पैदा होने नहीं दे रहे हैं. गेहूं चर गए और एक भी दाना घर नहीं जा रहा है.''

सत्ता में आते ही योगी सरकार ने गौवध बंदी पर सख्ती दिखा दी थी. लिहाजा नए सीएम के फरमान पर बिना दिमाग लगाए सरकारी मशीनरी ने गाय-बछड़ों के ट्रकों के पहिये जाम कर दिए. गौरक्षकों ने भी खूब तांडव मचाया. इसका खामियाजा अब दिखाई पड़ रहा है. पूरे प्रदेश में हर जगह यह जानवर नजर आने लगे हैं. झुंडों में घूम रहे छुट्टा पशु खेतों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं जिसकी चर्चा हर खेत खलिहान में होने लगी है.   

योगी सरकार ने चार अप्रैल 2017 को पहली कैबिनेट मीटिंग में 86 लाख किसानों के 36 हजार 359 करोड़ रुपये के कर्ज की माफी का ऐलान किया था. यूपी में करीब 2.30 करोड़ किसान हैं. इनमें 86 लाख किसानों की कर्जमाफी हुई थी. अभी ये कर्जमाफी के हनीमून पीरियड से बाहर भी नहीं निकले थे कि उनकी फसलों पर बछड़ों और सांड के हमले शुरू हो गए. हालात यह हो गई कि फसल बचाने के लिए किसान रात में खेतों की चौकीदारी करते रहे और योगी सरकार को कोसते रहे.

किसान जयशंकर सिंह का कहना है कि "ये जो बछवा जो छूटा है तो जितना हम लोग का क़र्ज़ माफ़ हुआ उससे अधिक हम लोगों का नुकसान है. तो इस क़र्ज़ माफ़ी से क्या फायदा है. हम लोगों का न चना होता है न मटर होता है न आलू होता है.''

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